Saturday, 27 April 2019

Zindagi ka maksad (This post is in hindi)

मैं ऑफिस से आते वक़्त रोज़ एक जगह से गुज़रती हूँ - एक वीराना, एक खँडहर, एक कब्रिस्तान|

कुछ नया नहीं है, जैसे कब्रिस्तान होते हैं वैसा ही है वो भी, लेकिन आज जब मैं आ रही थी, मैंने गौर किया की कुछ कब्रें ऊपर उठे हुए चबूतरों पर हैं और कुछ एकदम नीचे धंसी हुई, कुछ के आसपास एक छोटी सी बाउंड्री वाल है और कुछ कब्रें एक दूसरे में एकम-एक हो रही हैं. ऐसा लग रहा था जैसे कुछ कब्रों की हैसियत बाकियों से ज़्यादा है और वो ऊपर से बोल रही हैं की मैं तुमसे बेहतर हूँ, तुम सबसे बेहतर

फिर मैंने सोचा क्या इंसान को मर के भी शांति का सुख नहीं मिल सकता? एक की कब्र दूसरे से बेहतर है, लेकिन ये भी सोचा की शायद एक ने अपने घर वालों को खुश रखा होगा और दूसरे का शायद कोई होगा ही नहीं

कितना अजीब होता है न इंसान मरने के डर से कुछ नया करता नहीं है लेकिन मरना ही तो एकमात्र सत्य है, ये कभी एहसास नहीं करता

जिसका कोई नहीं है वो भी ज़मीन के नीचे ही है, और जिसकी पूरी दुनिया खिदमत में थी कभी, वो भी ज़मीन के नीचे ही है चाहे कितने भी बड़े या ऊँचे चबूतरे पर हो

तो क्या ज़िन्दगी से ज़्यादा बड़ा सत्य मौत है? हाँ, ज़िन्दगी तो कभी भी छीनी जा सकती है, लेकिन मौत आने के बाद क्या आता है ये किसी को नहीं पता, तो मेरे सीमित दिमाग से तो मौत ही बड़ा सत्य है

फिर कुछ काम करना ही क्यों है? जब पता है मौत तो आनी ही है, तो अपनी मर्ज़ी से धुंए में ज़िन्दगी को उड़ाना बेहतर क्यों नहीं है? लोग काम क्यों करते हैं, इतनी मेहनत क्यों करनी है?
इसका जवाब मुझे पता है
ज़िन्दगी जीने का मज़ा जिसने लिया है, ऐसे शख्स से मेरा वास्ता पड़ा था
चाहे मैं मात्र पांच साल की थी, तब वो चले गए, लेकिन हम सबको जीना सीखा गए थे
ज़िन्दगी का असली मकसद है "सेवा"
जैसे की आजकल का एक लोकप्रिय नाटक "गेम ऑफ़ थ्रोन्स" में बोलते हैं "वलार दोहरीस" - आल मेन मस्ट सर्व
ये ज़िन्दगी या बोलना चाहूंगी एक अच्छी ज़िन्दगी का सार है - सर्विस ऑफ़ फेलो ह्यूमन बीइंगस